शहर के क़िस्से

संकट हिफ़ाज़त मुक्ति

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क्यूरेटोरियल उपसंहार

एक नाकाम यूटोपिया होने के बावजूद उत्तर-औपनिवेशिक शहर में अभी भी मुक्ति की थोड़ी-बहुत संभावना मौजूद है. और शायद इसी से वह आख़िरी मौक़ा भी हमें मिलता है कि हम आधुनिक पीढ़ियों ने जो गलती की थी उसे सुधार सकें, एक नई शुरुआत कर सकें. प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी और दूसरों के प्रति संवेदनशीलता और देखभाल करने की भावना में हमें इसका सुराग मिलता है कि हम समझ सकें कि कैसे शहर अपने वजूद के लिए अभी भी इंसानियत से ही उम्मीद रखता है. इसके ज़रिए क्यूरेशन टीम ने इस आयोजन को एक दिशा देने की कोशिश की है.

निलिमा शेख़ सलाम चेची (पांच पैनल), 2018 2017-2018, टेम्परा
जयश्री चक्रवर्ती रूट्स, 2014 सूती कपड़ा, जूट, चाय के दाग़, अल्युमिनियम की कतरन, स्टील के तार, नेपाली काग़ज़