शहर के क़िस्से

संकट हिफ़ाज़त मुक्ति

हेमा उपाध्याय

8’ X 12’, 2009 अल्युमिनियम की चादरें, कार के बेकार पुर्जे, एनामल पेंट, प्लास्टिक की चादरें, पाई हुई वस्तुएँ, एम-सील, रेज़िन और हार्डवेयर सामग्री, फोटो साभार: राम रहमान

शीर्षक 8’x12’ मुंबई में धारावी झुग्गी बस्ती के एक घर के औसत आकार के बारे में बताता है. यह झुग्गी बस्ती दुनिया की सबसे बड़ी बस्तियों में से एक बताई जाती है.

कलाकार ने धारावी इलाक़े से अल्युमिनियम की चादरें, कार के पुर्जे, एनामेल पेंट, तारपोलीन, सस्ती प्लास्टिक और धातु के टुकड़े और दूसरी वस्तुएँ जमा कीं, जिनको जोड़ कर ये चमकदार, बहुरंगी, नन्हे घरों के ढाँचे बनाए गए हैं.

करीब नौ वर्ग मीटर बड़ा यह इन्सटॉलेशन एक बंद कमरेनुमा ढाँचा है, जो दर्शक को करीब से झुग्गी बस्ती के चरित्र का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करता है. इसमें दाखिल होने पर एक बहुत ही घने, बंद और तंग जगह में होने का अहसास होता है. इन्सटॉलेशन की बनावट ऐसी है मानो यह ऊपर आसमान से लिया गया कोई दृश्य हो.

लगातार बढ़ती जा रही इस झुग्गी बस्ती में ठुंसे हुए से मकान अस्थिर से लगते हैं, जो दिखाता है कि यहाँ जीवन कितना असुरक्षित और खतरे से भरा हुआ है. लेकिन ये यह भी दिखाता है कि यहाँ कितनी उत्पादक और रचनात्मक ऊर्जा है, जिसमें आजीविका और जीवन का एक वादा है.